Don't Forget to Share
Wednesday, February 26, 2014
जा दिन जनम भयो केजरी को, दिल्ली धँसी अढाई हाथ । झाँकन लगे सब दोगले बगलें, बगुला-भगत खुजावत माथ ।। करन ब्यबस्था परिबर्तन को, दियौ वोट जनता ने ढेर । कहन लगे हमरी पावर में, अब भी कुछ बाकी है फेर ।। जनलोकपाल तो यों ना मिलता, क्योंकि नियम रजा ना देय । लाइन बिछी नहिं सप्लाई की, हम ना दे सकते जल पेय ।। बिजली "सस्ती" दे देंगे पर, गोवा सम सस्ती नहिं भाय । लॉ ऑर्डर की बात न करना, हम तो खुद धरने पे आय ।। जनदरबार लगावत हम हैं, दूजे की हिम्मत कहाँ बोल ?भीड़ बढ़े भग जावत हम हैं, फिर ना आवैं खुलती पोल ।। बँगला गाड़ी "कभी ना लैंगे", "लै लेंगे", "ना लैंगे" ठीक । छोटा लैंगे, बड़ा कभी फिर, कुछ दिन तो जाएँ यों बीत ।। टाइम दीजिए टाइम दीजिए, नए लोग हैं होगी भूल । आम आदमी कैसा दिखता, सीखत जा ऍक्टिंग-स्कूल ।। मेरा धरना, मेरी खाँसी, मेरा मफलर, नया है path। जा दिन जनम भयो केजरी को, दिल्ली धँसी अढाई हाथ ।।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment