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Saturday, February 1, 2014
थानवी साहब की पत्रकारिता का नमूना. जिस समय म्यांमार की सेना मणिपुर के गाँव में घुसकर उस पर दावा ठोक रही थी और चीन की सेना भारतीय सीमा के अन्दर 21किलोमीटर घुसकर टेंट लगाकर बैठी हुई थी उस समय थानवी साहब इस बात पर परेशान थे कि मोदी जी की ट्विट जो उन्होंने श्रीमती सोनिया गांधी जी की संसद में तबियत खराब होने पर उनकी कुशलक्षेम की प्रार्थना करते हुए की थी उसकी भाषा उचित नहीं थी. और आज जब सारा देश अरुणांचल प्रदेश के छात्र की दिल्ली में हुई दुखद हत्या से शोकाकुल हैं और भारत सरकार से जवाब चाहता हैं की आखिर ऐसा क्यों कर हुआ तो आज उन्हें मोदी जी की पत्नी की चिंता हैं, की क्योंकर मोदी जी अपनी पत्नी के साथ नहीं रहत ?यह उदाहरण भारतीय पत्रकारिता के गिरते हुए स्तर को बखूबी बयान कर रहा है कि जब देश हमारा संकट में होता है, अपनी सरकार से जवाब चाहता है तो ये विपक्षी पार्टी के नेता से उस बात का जवाब माँगते हैं जिसके जवाब से देश की जनता से कोई सरोकार नहीं है. जवाब मिलने से भी देश का कोई भला नहीं होने वाला. साथ में यह भी साबित होता है कि नरेंद्र मोदी जी से किस तरह से भयाक्रांत हैं और बौखलाए हुए हैं. क्या अब भी आप कहेंगे की भारतीय पत्रकारिता अब दलाली के स्तर पर नहीं हैं?
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