Saturday, February 1, 2014

हम मानसिक रूप से कितने पिछड़े हैं !!! हम भले ही अपना पहनावा और रहन-सहन बदल लें.. बड़ी-बड़ी बातें करते हैं हम.. हम दुनिया के बारे में जानते हैं, नासा के बारे में जानते हैं, ‘फीफा वर्ल्ड कप के बारे में जानते हैं.. हम “फुटबॉल क्लब्स” के बारे में जानते हैं.. हॉलिवूड-बॉलीवुड की हरेक छोटी-बड़ी घटना के बारे में जानते हैं.. पिज़्ज़ा-बर्गर कहाँ से आया कितने प्रकार के हैं सब जानते हैं हम.. पर हम क्या जानते हैं अपने ही राष्ट्र के सीमावर्ती प्रदेश अरुणाचल प्रदेश के बारे में.. जहाँ के अधिकांश लोग हमारी तरह अभिवादन हेलो-नमस्कार वगैरह से न कर “जय हिन्द” से करते हैं.. अरुणाचल वासी दिखने में हमसे बहुत अलग हैं पर विविधता तो सम्पूर्ण देश में है हम कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक तक बिलकुल अलग-अलग दिखते हैं, पर बस दिखते अलग हैं, हैं एक.. एक भारतीय.. जितना यह देश हमारा है उससे जरा सा भी कम उनका नहीं, किसी एक का नहीं.. वहीं जब पता चलता है दिलवालों की नगरी कहलाने वाली दिल्ली में एक अपने ही देश के नागरिक “नीडो तानिआम” की दिल्ली के लाजपत नगर में पहले उसके अलग दिखने पर पहले मजाक उड़ाया जाता है, और विरोध करने पर उसकी हत्या कर दी जाती है.. यह घटना विचलित करने वाली है.. हम अगर अपने ही देश के लोगों के बारे में नहीं जानते अपने सुंदर प्रदेश अरुणाचल प्रदेश के बारे में नहीं जानते तो ये हमारा “उज्जडपन” है.. उसमे “नीडो” का कोई दोष नहीं था, दोषी हम खुद हैं, और खुद एक मजाक ..ऐसी शर्मनाक घटना राष्ट्र के रूप में हमें असफल बनाती है.. हमें आत्मचिंतन करना चाहिए, जो नहीं जानते वो जानने की कोशिश करनी चाहिए.. बेहद व्यथित हूँ, शर्मिंदा हूँ.. “नीडो” के हत्यारे के ऊपर तो हत्या का मुकदमा चलेगा ही उनके उपर राष्ट्रद्रोह का भी मुकदमा चलना चाहिए.. सहमत हैं तो इस मांग को महामहिम राष्ट्रपति तक ई-मेल और पत्र के माध्यम से भेजें..

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