Don't Forget to Share
Wednesday, January 29, 2014
जो मित्र महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध नाटककार व लेखक बाबासाहेब पुरंदरे और उनके कृतित्व को जानते हैं, उन्हें तो पता ही है कि वे कितने उच्च स्तर के कलाकार हैं. जो मित्र इस हस्ती के बारे में नहीं जानते, उन्हें बता दूं कि बाबासाहेब पुरंदरे ने युवावस्था में ही छत्रपति शिवाजी के कार्यों पर एक लेखमाला लिखी थे, जिसका बाद में "ठिनग्या" (अंगारे) नाम से पुस्तक प्रकाशन हुआ. 1985 में पुरंदरे साहब ने "जाणता राज़ा" के नाम से एक महानाट्य लिखा जो शिवाजी के बचपन से लेकर उनके राज्याभिषेक तक की घटनाओं पर आधारित है. इस महानाट्य के अब तक नौ सौ से अधिक शो देश-विदेश में हो चुके हैं. इस नाटक की विशेषता यह है कि इसका स्टेज ही अपने-आप में एक छोटे मैदान जैसा होता है और नाटक के दौरान 200कलाकारों के साथ असली तलवारें और भाले तो ठीक... साक्षात् हाथी-घोड़े भी इस्तेमाल किए जाते हैं.... जिसने इस नाटक को नहीं देखा उसे मौका मिलते ही अवश्य देखना चाहिए क्योंकि जिस विराट स्वरूप और तीव्र देशभक्ति भावना से इसे पेश किया जाता है, उसमें "भाषा" कोई मायने नहीं रखती.... दिल सब कुछ समझ लेता है. 91 वर्षीय महायोगी बाबा साहेब पुरंदरे का स्मरण इसलिए भी हुआ क्योंकि हाल ही में गणतंत्र दिवस पर आप लोगों ने "ट्रैक्टर ट्राली" भरकर जो पद्म पुरस्कारों की खैरात देखी थी, उनमें प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी बाबासाहेब का नाम नहीं था. जबकि सैफ अली खान जैसे "महान" कलाकार को यह पुरस्कार मिल चुका है... ===================== सुप्रभात मित्रों... Suresh Ji
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment