Friday, February 14, 2014

'आप' तो बस 'आप 'निकले | बाप के भी बाप निकले || पहले सपने दिखाये आँखों को फिर "आप" उल्टे पाँव भाग निकले !! उन्ही से निभाई दोस्ती आपने , ये बाग़ मौसम जिनके खिलाफ निकले !हमने मंदिर का पुजारी बनाया था जिसे उसी की चादर में यहाँ दाग निकले !!अपना हमदर्द जानकर सहेजते रहे जिन्हें वो आस्तीन में पलने वाले नाग निकले !! जनता के सब्र का इमतेहाँ ना ले "आप "मुमकिन है कल दुवाओं में उनकी आग निकले !!

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