Monday, February 3, 2014

माँ शारदे कहा तू विना बजा रही हो ,किस मंजू ज्ञान से तू ,जग कोलुभा रही हो | किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही हो , विनती यही हमारी ,माँ क्योंन सुन रही हो |हम दिन बाल कबसे विनती सुनारहे है , चरणों में तेरी माता ,हम शीश नवा रहे है | अज्ञानता हमारी माँ शीघ्र दूर करदे ,सद्बुद्धि ज्ञान हममे ,माँ शारदे तू भर दे |मातेश्वरी तू सुन ले ,इतनी विनय हमारी , करके दया तू हर दे ,बाधा जगतकी सारी |माँ शारदे कहा तू विना बजा रही हो ,किस मंजू ज्ञान से तू ,जग कोलुभा रही हो

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