Friday, February 14, 2014

अरविंद केजरीवाल ने क्यों इस्तीफा दिया? ------------------------------------------अरविंद के सामने कोई दूसरा चारा नहीं था. दिल्ली सरकार की वजह से आम आदमी पार्टी एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसती जा रही थी जिसका अंत वही होने वाला था जो हाल अभिमन्यू का हुआ था.. ये अलग बात है कि केजरीवाल न तो अभिमन्यू की तरह वीर हैं और न ही उनकी तरह योद्धा.. केजरीवाल एक अदना सा नेता है जिसकी मानसिकता और विचार किसी विश्वविद्यालय स्तर के नेता की है.. इसलिए तोड़ फोड़ की राजनीति उसे असली राजनीति समझ में आती है.. समझने वाली बात यह है कि अरविंद केजरीवाल कभी ये चाहते ही नहीं थे कि स्वराज बिल और जनलोकपाल बिल पास हो जाए.. जरा सोचिए .. अगर जनलोकपाल बिल पास हो जाता तो ये किस मुंह से फिर चुनाव लड़ते.. ये मुद्दाविहीन हो जाते.. इसलिए जनलोकपाल और स्वराज के मुद्दे को जीवित रखना इनकी मजबूरी है.. इस्तीफे की वजह है कि केजरीवाल सरकार नहीं चला पा रहे थे.. हर दिन नई गलतियां हो रही थी.. सरकार चलाने में परेशानी हो रही थी.. दूसरी समस्या यह थी कि पानी बिजली के बिल घर पहुंचने लगे थे.. जिन्हें छूट मिली वो निराश थे क्योंकि जितना जोरशोर मचाया गया उस हिसाब से राहत नहीं मिल रही थी.. और जिन्हें छूट नहीं मिली उनके बिल पहले से ज्यादा आ रहे हैं.. हर दिन नौकरी को परमानेंट करने की डिमांड तेज हो रही थी.. लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे... हकीकत यह है कि सरकार ये करने में असमर्थ है साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए फोन नंबर दिए गए.. उसके जरिए एक भी चूहा आम आदमी पार्टी नही पकड़ सकी... लोगों का समर्थन दिन ब दिन कम होता जा रहा था.. जो सपने केजरीवाल ने दिखाए वो पूरे नहीं होते दिखाई दे रहे थे... साथ ही उनकी बातचीत व धरना प्रदर्शन की रणनीति भी लोगों को नाराज कर रही थी.. कहने का मतलब यह कि केजरीवाल को यह पता चल गया कि अगर कुछ और दिन वो सरकार में रहे थे उनकी सारी पोल पट्टी खुल जाएगी.. वो बेनकाब हो जाएंगे.. यह भी जानना जरूरी है कि सरकार गिराने के फैसले को लकेर पार्टी में विरोध हो रहा था.. कई विधायक इस फैसले के खिलाफ हैं.. पार्टी टूट की कगार पर आ गई है.. पार्टी के अंदर उठापटक की दूसरी वजह यह है कि अन्ना के आंदोलन से जुड़े प्रंमुख लोग पार्टी को छोड़ चुके हैं और उनकी जगह आशुतोष व योगेंद्र यादब जैसे लोगो ने ले ली है. समस्या यह है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जब आम आदमी पार्टी का कोई नेता जाता है तो स्थानीय लोग इनलोगों की बातों नहीं सुनते और इनके हाथों से पार्टी का कंट्रोल छूट रहा है.. बिहार हो या हरियाणा हर शहर के कार्यकर्ता सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल को चाहते हैं.. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के कामों में फंसे थे.. वो टाइम नहीं सकते थे.. इतने दिनों में यह पता चल गया था कि लोकसभा चुनाव लड़वाना और तैयारी करना आम आदमी पार्टी के दूसरे नेताओं के बस में नहीं था.. दूसरी बात यह कि जिन बड़े बड़े लोगों ने पार्टी को ज्वाइन किया वो स्वयं चुनाव लड़ने की जुगाड़ में हैं तो पार्टी की किरकिरी तो तय थी.. इसलिए केजरीवाल ने लोगों ने जनलोकपाल और स्वराज को जिंदा रखने, पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार करने, और दिल्ली सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए इस्तीफा दिया ताकि वो चिल्ला चिल्ला कर सफेद झूठ बोल सकें कि जनलोकपाल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी की मैने कुर्बानी दे दी.. Manish Kumar

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