Sunday, February 16, 2014

खण्डार तहसील के फरिया गांव पहुंची तो वहां के श्री अमरा गुर्जर ने भोजन करने का आग्रह किया। खुले चौक में चूल्हे के पास टाट की बोरी पर बैठकर दाल, दही, गुड़, धनिये की चटनी, चने के साग व मक्खन के साथ ठेठ अंदाज में बाजरे की रोटी खाई। मुई खुर्द गांव के समीप हनुमान गुर्जर के छोटे से ढाबे में खाट पर बैठकर चाय की चुस्की ली।

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